Squid Game एक ऐसा शो है जो आपकी सोच को चुनौती देता है, आपकी संवेदनाओं को हिला देता है और आपको यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम कितने नैतिक और मानवतावादी हैं। इस शो ने दुनिया भर में तहलका मचाया है और लोगों को अपनी कड़ी वास्तविकताओं और जीवन के कटु सत्य से रूबरू कराया है। तो, क्या आप तैयार हैं यह सवाल पूछने के लिए कि यह खेल “जीवन या मौत” है?
Squid Game दक्षिण कोरिया का एक नाटक आधारित टीवी शो है जिसे ह्वांग डोंग-ह्युक ने लिखा और निर्देशित किया है। इस शो का केंद्र है 456 ऐसे लोग, जो अपने जीवन के कठिन हालातों से जूझ रहे हैं, और उन्हें एक खतरनाक खेल में भाग लेने का मौका मिलता है, जिसमें जीतने वाले को भारी धनराशि मिलती है, जबकि हारने पर मौत निश्चित है।
शो की शुरुआत एक गहरी और दुखद जमीनी हकीकत के साथ होती है। पात्रों के पास अपनी जिंदगी में समस्या, कर्ज, और निजी संकट हैं। वे इस खेल में भाग लेते हैं क्योंकि वे जीवन को बदलने का एक आखिरी मौका मानते हैं। यह हमारी समाज की सच्चाई को उजागर करता है कि कैसे आर्थिक तंगी और मानसिक दबाव एक इंसान को अपनी आत्मा को खोने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
यह शो हमें यह बताता है कि जीवन की सबसे बड़ी कीमत क्या है – पैसे, परिवार, या मानवीयता? हम क्या खोते हैं जब हम अपने लक्ष्य को पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं?
सभी पात्र एक चीज़ में समान हैं – वे गरीब हैं, और इस शो के माध्यम से हम यह महसूस करते हैं कि कैसे समाज में धन का महत्व बढ़ता जा रहा है। पैसे के पीछे की अंधी दौड़ समाज को असमान बना देती है और इंसानियत को एक तरफ रख देती है। यह शो दिखाता है कि एक छोटे से ‘जीवन’ के लिए, लोग कितनी बड़ी कीमत चुकाने को तैयार हैं।
शो में पात्रों के फैसले और उनकी प्रतिक्रिया देखने योग्य हैं। कुछ लोग इस खेल में अपने प्रियजनों के लिए लड़ते हैं, जबकि कुछ अपनी स्वार्थी इच्छाओं को पूरा करने के लिए दूसरों को धोखा देने से भी पीछे नहीं हटते। यह हमें इस बात पर सोचने के लिए प्रेरित करता है कि क्या किसी के पास नैतिकता होती है जब उन्हें अपने अस्तित्व का संकट हो?
शो का मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण यह बताता है कि जब हम अस्तित्व के संकट में होते हैं, तो हमारी नैतिकता और सिद्धांतों की अहमियत कम हो जाती है। इसे शंकराचार्य के अद्वैत वेदांत से जोड़ा जा सकता है, जो हमें यह सिखाता है कि बुराई और अच्छाई केवल हमारे सोचने का तरीका हैं, परंतु वास्तविकता हमारे अनुभव और परिस्थिति पर निर्भर करती है।
कभी-कभी, जब हम अपना रास्ता खो देते हैं, तो हमें एहसास होता है कि हमें केवल एक उद्देश्य से प्रेरित नहीं होना चाहिए – धन, बल्कि अपने जीवन को एक higher purpose से जोड़ने की आवश्यकता होती है। यही असली संदेश है, जो हमें भगवद गीता और अष्टावक्र गीता से मिलता है – जीवन का उद्देश्य केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति नहीं, बल्कि दूसरों की भलाई और समाज के सुधार में योगदान करना है।
इस शो में दिखाया गया है कि जब लोग खुद को एक दूसरे से जोड़ते हैं और अपनी मानवता को बचाए रखते हैं, तो वे एक बेहतर जीवन की ओर अग्रसर होते हैं। योग वाशिष्ठ में भी यही संदेश मिलता है कि दुनिया की सारी समस्याएं केवल हमारे सोचने के तरीके पर निर्भर करती हैं, और एक इंसान को अपनी सोच और कर्मों में संतुलन लाकर जीवन को सुंदर बना सकता है।
यह शो हमें यह बताता है कि मृत्यु से डरना हमारी स्वाभाविक प्रवृत्ति है, परंतु यह जीवन का अनिवार्य हिस्सा है। इस खेल में, जहां हर कदम पर मौत का खतरा है, हर पात्र को अपनी सच्चाई का सामना करना पड़ता है। महाभारत में भी अर्जुन ने युद्ध में शामिल होने से पहले अपने आत्म-संस्कार की जटिलताओं का सामना किया था, उसी तरह इस शो में भी पात्र अपने अस्तित्व और निर्णयों के परिणाम से जूझते हैं।
शो को देखने के बाद, यदि आप इसे सिर्फ एक मनोरंजन के रूप में लेते हैं, तो आप इसकी गहराई से वंचित रह जाएंगे। यह शो एक समाजिक दर्पण की तरह है जो हमें दिखाता है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं। एक नई दुनिया की तलाश, एक नया समाज, और एक बेहतर जीवन की प्रेरणा हमें इस शो के माध्यम से मिलती है।
शो में हर प्रतियोगी पर मानसिक दबाव डाला जाता है, और उनकी आत्म-विश्वास की परख की जाती है। यह प्रश्न उठता है कि क्या हम कभी अपनी आंतरिक शक्तियों का उपयोग कर पाएंगे या हम मानसिक और शारीरिक दबाव के आगे हार जाएंगे? यह विषय योग वशिष्ठ की उन शिक्षाओं से जुड़ा हुआ है, जहां व्यक्ति को अपनी आंतरिक शक्ति और ध्यान के माध्यम से सभी कठिनाइयों का सामना करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। शो में ये दबाव पात्रों को शारीरिक और मानसिक रूप से तोड़ देते हैं, जो एक तरह से जीवन के कठिन हालातों में आत्म-संवेदनशीलता की परख होती है।
शो में रिश्तों का एक बुरा रूप भी सामने आता है, जहां मित्र और परिवार सदस्य एक-दूसरे को धोखा देने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाते। यह विश्वासघात समाज के उन पहलुओं को उजागर करता है, जहां आर्थिक संघर्ष या अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए लोग अपने सबसे करीबी लोगों को भी धोखा दे सकते हैं।
Squid Game यह भी दर्शाता है कि जब व्यक्ति का उद्देश्य सिर्फ धन और जीतना हो, तो वह अपनी आत्मा और नैतिक मूल्यों से दूर हो जाता है। यह स्थिति उसी प्रकार की है जैसे भगवद गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि कर्म करने के लिए हमारा ध्यान केवल धर्म और उद्देश्य पर होना चाहिए, न कि उसका फल प्राप्ति पर।
शो में कुछ पात्रों द्वारा अंधविश्वास का पालन भी दिखाया जाता है, जैसे कुछ पात्र अपने जीवन को भाग्य के भरोसे छोड़ देते हैं और अपने भविष्य को पूरी तरह से किस्मत पर छोड़ देते हैं। यह भी एक प्रमुख संदेश देता है कि हम अपने निर्णय खुद लें और किसी भी असत्य पर विश्वास करने से बचें। आचार्य शंकराचार्य ने भी कहा था कि जीवन को समझने और अपने निर्णयों को परखने के लिए बुद्धिमत्ता और विवेक का होना जरूरी है, ना कि केवल अंधविश्वास।
शो में दिखाया गया है कि मृत्यु का डर, जीवन के प्रत्येक कदम पर छाया बनकर रहता है। यह डर पात्रों को सही निर्णय लेने में असमर्थ बना देता है, और उन्हें अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए सबसे अंधेरे रास्ते पर चलने के लिए मजबूर कर देता है। यह जीवन के अस्थिर और अनिश्चित पहलुओं को दर्शाता है, जैसा कि बृहदारण्यक उपनिषद में कहा गया है कि हम जीवन और मृत्यु के बीच के इस अंतर को समझने के बजाय, अक्सर इसे केवल एक अंत के रूप में देखते हैं।
शो में तकनीकी विकास और विज्ञान के माध्यम से इस खेल को चलाने की व्यवस्था को दिखाया गया है। इस खेल में तकनीकी टूल्स का उपयोग बहुत सटीकता से किया जाता है, लेकिन इसका मानवता पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह एक बड़ा सवाल है। यह विषय युनान के प्राचीन दार्शनिकों से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि विज्ञान और तकनीकी विकास का उपयोग मानवता की भलाई के लिए किया जाना चाहिए, न कि केवल सत्ता और लाभ के लिए।
शो में जिन पद्धतियों का उपयोग किया गया है, वे यह संकेत देती हैं कि मानवता की नज़र से देखे तो ये प्रयोग अमानवीय हैं। लेकिन, यह भी दिखाया गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपने लाभ के लिए अन्य लोगों की पीड़ा का प्रयोग करता है, तो उसका खुद का अंत भी दर्दनाक होता है। यह फिल्म और सिनेमा के माध्यम से एक अंतर्राष्ट्रीय संदेश देता है कि विज्ञान, बौद्धिकता, और नैतिकता की सीमाएं हमें ध्यान में रखनी चाहिए।
Squid Game एक ऐसा शो है जो केवल मनोरंजन नहीं है, बल्कि यह एक गहरी सोच, अस्तित्व, और समाज के बारे में प्रश्न पूछता है। यह हमें यह याद दिलाता है कि समाज की असमानताओं, सत्ता संघर्षों और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से जुड़े हम कैसे जीवन को अपनी मर्यादा और उद्देश्य से जोड़ सकते हैं।
जब यह शो दर्शकों को इतना गहरा प्रभाव छोड़ता है, तो इसका उद्देश्य केवल इतना है कि हम उन गुणों और संस्कारों को फिर से अपनाएं, जिन्हें हम भूल चुके हैं। जीवन या मौत का यह खेल हमें इस बात की याद दिलाता है कि मृत्यु हमारे जीवन का अंत नहीं है, बल्कि यह एक प्रक्रिया का हिस्सा है, और हम किसी भी स्थिति में अपनी मानवता और नैतिकता को बनाए रख सकते हैं।
क्या आपने अपनी मानवता को पहचाना?
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