यह कहानी उन दो व्यक्तियों की है, जिन्होंने अपने समय के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों को अंजाम दिया—हरशद मेहता और अब्दुल करीम तेलगी। दोनों ने धन कमाने के लिए रास्ता चुना, लेकिन जो रास्ता उन्होंने अपनाया, वह अंत में उन्हें और समाज को बहुत भारी पड़ा। उनकी कहानी में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण सबक हैं, जिन्हें अगर वे समझते और अपनाते, तो न केवल वे अपनी जिंदगी में सफलता पा सकते थे, बल्कि समाज में भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकते थे।
हरशद मेहता, जो एक समय पर शेयर बाजार के सितारे थे, ने 1992 में भारतीय शेयर बाजार को हिला दिया। उन्होंने बैंकों से नकली रसीदें लेकर और स्टॉक मार्केट में अव्यवस्थित तरीके से व्यापार करके पैसे बनाए। लेकिन जब यह घोटाला खुला, तो न केवल उनका करियर खत्म हुआ, बल्कि लाखों निवेशकों के पैसे भी डूब गए। क्या होता अगर हरशद मेहता ने पारदर्शिता और ईमानदारी से काम किया होता? अगर वह निवेशकों को सही जानकारी देते और उन्हें गुमराह नहीं करते, तो वह आज भी एक आदर्श वित्तीय विशेषज्ञ होते। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी भी व्यवसाय में सफल होने के लिए ईमानदारी से काम करना सबसे जरूरी है।
वहीं अब्दुल करीम तेलगी ने भी कुछ ऐसा ही किया। उन्होंने भारत में स्टांप पेपर घोटाला किया, जिसमें उन्होंने नकली स्टांप पेपर बना कर सरकार को लाखों का नुकसान पहुंचाया। वह यह भूल गए कि धोखाधड़ी से कमाया हुआ पैसा देर तक नहीं टिकता। तेलगी अगर अपनी ऊर्जा और वक्त को सही दिशा में लगाते, तो वे एक सफल व्यवसायी बन सकते थे। लेकिन उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता का गलत इस्तेमाल किया और अंत में जेल में अपनी जिंदगी का लंबा समय बिताया। अगर वह अपने काम में पारदर्शिता और वित्तीय नियमों का पालन करते, तो न केवल वह कानूनी समस्याओं से बच सकते थे, बल्कि उनका कारोबार भी स्थिर और दीर्घकालिक सफलता की ओर बढ़ता।
अगर हरशद मेहता और अब्दुल करीम तेलगी ने सही तरीके से काम किया होता, तो क्या होता? यह सवाल हमें उनके फैसलों पर विचार करने पर मजबूर करता है। अगर वे पारदर्शिता से काम करते, तो न केवल उनका काम स्थिर रहता, बल्कि उन्होंने समाज के सामने एक अच्छा उदाहरण भी पेश किया होता। इसके साथ ही, यदि वे नियमों का पालन करते, तो कानूनी और वित्तीय संकट से बच सकते थे।
उनकी कहानी हमें यह भी सिखाती है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। अगर आप अपनी मेहनत, ईमानदारी और पारदर्शिता से काम करेंगे, तो न केवल आप अपने लिए धन अर्जित करेंगे, बल्कि समाज में भी एक अच्छा संदेश देंगे। दोनों ने गलत मार्ग अपनाया, लेकिन उनकी गलतियों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।
इन दोनों घोटालों से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी तात्कालिक लाभ के लिए गलत रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। अगर हरशद मेहता और अब्दुल करीम तेलगी ने वित्तीय नियमों का पालन किया होता और अपनी योजना को दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखा होता, तो उनकी सफलता कहीं अधिक स्थिर और सुरक्षित होती। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि किसी भी कारोबार में पारदर्शिता और ईमानदारी का पालन करना सबसे महत्वपूर्ण है, और इसके बिना कोई भी सफलता नहीं टिक सकती।
अगर आप अपने व्यवसाय में सफलता चाहते हैं, तो इस कहानी से सीखें और गलत रास्ते से बचें। सही मार्ग अपनाएं और मेहनत, ईमानदारी और पारदर्शिता से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करें।