भारतीय महाकाव्यों और ग्रंथों से दृष्टिकोण*
- महाभारत से प्रेरणा:
महाभारत में यक्ष-युधिष्ठिर संवाद में प्रश्न उठता है कि सबसे बड़ा धन क्या है। युधिष्ठिर का उत्तर है, “ज्ञान”। विवेक की त्रासदी इस बात की ओर इंगित करती है कि यौन शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण ज्ञान की कमी आज भी समाज में है। ठीक वैसे ही जैसे अभिमन्यु को चक्रव्यूह के बाहर जाने का ज्ञान नहीं मिला था, विवेक को समाज और शिक्षा प्रणाली ने यौन शिक्षा के चक्रव्यूह में प्रवेश तो कराया, लेकिन सुरक्षित बाहर निकालने का रास्ता नहीं दिखाया।
- रामायण का परिप्रेक्ष्य:
रामायण में धर्म, कर्तव्य और समाज का आदर्श स्वरूप बताया गया है। पंडेय जी का रवैया उन धार्मिक नेताओं का प्रतीक है, जो धर्म का गलत उपयोग करके सत्य को छिपाने का प्रयास करते हैं। हनुमान जी के चरित्र की तरह, भगवान शिव The One के रूप में सत्य की खोज में कांति की सहायता करते हैं।
- भगवद गीता से सीख:
भगवद गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन को शिक्षा देते हैं कि धर्म, समाज और आत्मा की सही पहचान करना सबसे बड़ा कर्तव्य है। कांति शरण द्वारा समाज की आलोचना और यौन शिक्षा की वकालत गीता के कर्म योग की भावना का प्रतीक है।
भारतीय उपनिषदों और दर्शन से दृष्टिकोण
- बृहदारण्यक उपनिषद:
“आत्मा का ज्ञान ही सबसे बड़ा ज्ञान है।” इस उपनिषद के अनुसार, किसी भी विषय पर अज्ञानता ही दुःख का कारण है। विवेक की असुरक्षा और आत्महत्या के प्रयास इस अज्ञानता का ही परिणाम है, जिसे उचित शिक्षा द्वारा दूर किया जा सकता है।
- 108 उपनिषद और अष्टावक्र गीता:
अष्टावक्र गीता में कहा गया है कि मनुष्य को अपने अंदर के सत्य और आंतरिक शांति को समझने की आवश्यकता है। विवेक का संघर्ष और कांति का मुकदमा इस बात को दर्शाता है कि आंतरिक सत्य की खोज के बिना, समाज और परिवार में अशांति बनी रहती है।
- आदि शंकराचार्य:
शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन में सत्य को स्पष्ट किया गया है: “सब कुछ ब्रह्म है।” यौन शिक्षा और समाज के प्रति कांति का दृष्टिकोण इस बात को रेखांकित करता है कि शिक्षा और धर्म का उद्देश्य सभी को समान रूप से ज्ञान देना है।
विदेशी दार्शनिकों के विचार
- सिगमंड फ्रायड:
फ्रायड का मनोविश्लेषण सिद्धांत यौन इच्छाओं और उनके दमन को जीवन के कई संघर्षों का कारण मानता है। विवेक की समस्या इस बात को साबित करती है कि यौन शिक्षा की कमी कैसे किशोरों में गलतफहमियां पैदा करती है।
- जॉन स्टुअर्ट मिल:
मिल का “स्वतंत्रता का सिद्धांत” कहता है कि शिक्षा और ज्ञान ही मनुष्य को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाते हैं। विवेक और कांति के संघर्ष इस स्वतंत्रता के महत्व को रेखांकित करते हैं।
योग वशिष्ठ का दृष्टिकोण
योग वशिष्ठ में बताया गया है कि दुनिया के सभी संघर्ष केवल अज्ञानता और मानसिक भ्रम से उत्पन्न होते हैं। विवेक का संघर्ष और कांति की सामाजिक लड़ाई इस बात का प्रतीक हैं कि ज्ञान और सही शिक्षा से इन भ्रमों को मिटाया जा सकता है।
नकारात्मक पहलू
- धार्मिक और सामाजिक दबाव:
पंडेय जी और समाज का दृष्टिकोण धार्मिक कट्टरता और सामाजिक शर्मिंदगी को उजागर करता है।
- मूवी का सीमित दृष्टिकोण:
फिल्म केवल एक मुद्दे पर केंद्रित है और शिक्षा प्रणाली की पूरी तस्वीर प्रस्तुत नहीं करती।
- विवादित दृष्टिकोण:
यौन शिक्षा को भारतीय संस्कृति का हिस्सा दिखाना कई रूढ़िवादी वर्गों के लिए विवाद का विषय बन सकता है।
निष्कर्ष
“OMG 2” न केवल यौन शिक्षा की आवश्यकता को उजागर करता है, बल्कि भारतीय और विदेशी दर्शन के माध्यम से यह भी दिखाता है कि समाज में अज्ञानता और रूढ़िवाद कैसे दूर किए जा सकते हैं। यह फिल्म धर्म, ज्ञान और तर्कसंगतता के संगम की याद दिलाती है, जो भारतीय दर्शन की सबसे बड़ी ताकत है।