दोस्तों, सुदीप की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘Max’ आखिरकार सिनेमाघरों में आ गई है। जैसे ही हमने फिल्म देखी, एक सवाल मन में आया—क्या ये फिल्म सिर्फ एक्शन और ग्लैमर पर टिकती है, या कहानी भी अपना असर छोड़ पाती है? आइए, गहराई से इसकी समीक्षा करते हैं।
कहानी सुदीप के किरदार ‘Max’ के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक रात में घटित घटनाओं की कड़ी से जूझ रहा है। फिल्म की शुरुआत धमाकेदार तरीके से होती है—एक हाई-ऑक्टेन मिशन, रहस्य, और खतरों के साथ।
लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, कहानी अपनी दिशा खोती नजर आती है। मुख्य प्लॉट तो दिलचस्प है, लेकिन उपकथाएं बेमकसद लगती हैं। ऐसा महसूस होता है कि लेखक ने कहानी को तेजी से खत्म करने की कोशिश की है, जिससे इमोशनल कनेक्ट बन ही नहीं पाता।
अब अगर बात करें सुदीप की, तो भाईसाहब, वो हर सीन में जान डाल देते हैं। उनकी बॉडी लैंग्वेज, डायलॉग डिलीवरी, और स्क्रीन प्रेजेंस इतनी दमदार है कि आपको उनसे प्यार हो जाएगा। खासकर एक्शन सीक्वेंस में, वो अपने चरम पर नजर आते हैं।
उनके कैरेक्टर का इमोशनल बैकस्टोरी फिल्म में देर से आती है, लेकिन इसे और बेहतर तरीके से गहराई दी जा सकती थी।
फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है इसका एक्शन और सिनेमेटोग्राफी। बड़े पैमाने पर शूट किए गए सीक्वेंस और बेहतरीन कैमरा वर्क आपको बांधे रखते हैं।
सुदीप के अलावा, फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट ने ठीक-ठाक काम किया है। उनके किरदार कहानी को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं, लेकिन उनमें कोई ऐसा परफॉर्मेंस नहीं है जो लंबे समय तक याद रहे।
फिल्म में एक समाज को संदेश देने का मौका था। ‘मैक्स’ का संघर्ष और उसके किरदार की जर्नी आपको प्रेरित कर सकती थी, लेकिन फिल्म इस पहलू को हल्के में लेती है। एक गहराई और संदेश की उम्मीद थी, जो पूरी नहीं हो पाई।
‘Max’ का मज़ा थिएटर में ही है, खासकर अगर आप सुदीप के जबरदस्त फैन हैं। यह फिल्म एक्शन और ग्लैमर का दमदार पैकेज है। लेकिन अगर आप एक मजबूत कहानी की तलाश में हैं, तो यह आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाएगी।
रेटिंग:
ओवरऑल रेटिंग: 3.5/5
‘Max’ एक मसाला एंटरटेनर है। इसे देखने जाइए, लेकिन दिमाग घर पर छोड़कर। और हां, अगर आपने फिल्म देख ली है, तो हमें अपना रिव्यू जरूर बताएं।
क्या आप मानते हैं कि सिर्फ स्टारडम और एक्शन एक फिल्म को हिट बनाने के लिए काफी है? अपने जवाब कमेंट में लिखें।
Here’s is the teaser: