दृश्यम (Drishyam) : Movie Review in Hindi

AmanCinema Mein Darshan6 months ago34 Views

कहानी की संक्षिप्त रूपरेखा:*

विजय सलगांवकर एक अनाथ है, जिसने चौथी कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। वह गोवा में एक छोटे व्यवसायी हैं। उनकी पत्नी नंदिनी और दो बेटियां अंजू (गोद ली हुई) और अनु हैं। फिल्में देखना उनका एकमात्र शौक है।

घटना तब शुरू होती है जब सैम देशमुख (पुलिस महानिरीक्षक मीरा देशमुख का बेटा) अंजू का एक आपत्तिजनक वीडियो रिकॉर्ड कर लेता है। सैम, अंजू को वीडियो डिलीट करने के बहाने ब्लैकमेल करता है और नंदिनी के सामने गलत प्रस्ताव रखता है। इसी दौरान अंजू गलती से सैम को लोहे की छड़ से मार देती है, जिससे उसकी मौत हो जाती है।

इसके बाद विजय अपने परिवार को बचाने के लिए एक चालाक योजना बनाता है। वह अपनी फिल्मी ज्ञान का उपयोग करके एक झूठी कहानी गढ़ता है, जिससे सभी गवाहों और पुलिस के मन में घटनाओं का अलग “दृश्यम” बना सके।

दार्शनिक और नैतिक विश्लेषण:

1. सत्य की परिभाषा:

फिल्म इस सवाल को उठाती है कि क्या सत्य हमेशा स्थिर होता है? विजय का “दृश्यम” एक झूठी कहानी होते हुए भी इतना विश्वसनीय है कि लोग इसे सच मान लेते हैं।

  • भारतीय दर्शन: यह माया के सिद्धांत से मेल खाता है, जिसमें दुनिया को एक भ्रम कहा गया है।
  • आधुनिक दर्शन: जीन बौद्रियार्ड के सिमुलेशन सिद्धांत के अनुसार, विजय ने वास्तविकता की जगह एक वैकल्पिक सच्चाई (सिमुलेशन) बना दी।

2. न्याय बनाम नैतिकता:

फिल्म में न्याय और नैतिकता के बीच गहरा संघर्ष है:

  • विजय का पक्ष: अपने परिवार की रक्षा के लिए कुछ भी करने का उनका निर्णय उपयोगितावादी (Utilitarian) दृष्टिकोण का उदाहरण है।
  • मीरा का पक्ष: उनके लिए कानून का पालन करना सर्वोपरि है, भले ही इसमें व्यक्तिगत दुख हो।

3. शक्ति का दुरुपयोग:

फिल्म में पुलिस व्यवस्था में भ्रष्टाचार को उजागर किया गया है।

  • मिशेल फूको का पावर थ्योरी: फिल्म दिखाती है कि शक्ति का उपयोग संरक्षण और उत्पीड़न दोनों के लिए किया जा सकता है।
  • सामाजिक टिप्पणी: गायतोंडे का अत्याचार पुलिस की शक्ति का दुरुपयोग दिखाता है।

मुख्य पात्रों का विश्लेषण:

विजय सलगांवकर:

  • दार्शनिक दृष्टिकोण: विजय “चालाक नायक” (Trickster) के archetype का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो कठिन परिस्थितियों में भी समाधान निकाल लेता है।
  • भावनात्मक गहराई: उनकी अनाथावस्था और सीमित शिक्षा उनकी आत्मरक्षा और परिवार की सुरक्षा की प्रवृत्ति को मजबूत करती है।

मीरा देशमुख:

  • संघर्ष: मीरा कानून और व्यक्तिगत दुःख के बीच फंसी हुई एक महिला हैं।
  • त्रासदी नायिका: उनके बेटे की गलतियों को स्वीकार न कर पाना उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है।

फिल्म के प्रमुख विषय:

1. परिवार की सुरक्षा:

  • भारतीय संदर्भ: गृहस्थ धर्म के तहत परिवार की रक्षा को सर्वोपरि माना गया है। विजय इसी धर्म का पालन करते दिखते हैं।

2. अपराध और पश्चाताप:

  • कर्म सिद्धांत: विजय का सैम के माता-पिता से माफी मांगना उनके अपराधबोध और कर्म के प्रति जागरूकता को दर्शाता है।

3. दोषपूर्ण समाज:

फिल्म यह सवाल उठाती है कि एक विकृत समाज में सही और गलत को कैसे परिभाषित किया जाए।

वैकल्पिक अंत:

  1. कानूनी संघर्ष: मीरा किसी प्रमाण के आधार पर विजय को कोर्ट में चुनौती देती और सत्य व न्याय के दार्शनिक पहलुओं पर बहस होती।
  2. दार्शनिक मोड़: विजय का सैम के माता-पिता से संवाद यह दिखा सकता था कि कैसे अपराध और क्षमा मानवता को जोड़ते हैं।

निष्कर्ष:

“दृश्यम” न केवल एक थ्रिलर है बल्कि सत्य, न्याय और परिवार की सुरक्षा जैसे जटिल दार्शनिक मुद्दों पर विचार करने का मौका देता है।

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